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What is Dark Web And Why You Should Stay Away From It || डार्क वेब क्या है और आपको इससे क्यों दूर रहना चाहिए?

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What is Dark Web And Why You Should Stay Away From It ||डार्क वेब क्या है और आपको इससे क्यों दूर रहना चाहिए?

इन्टरनेट नेही आपकी और हमारी जिंदगी को काफी आसान और सरल बना दिया है या कहें के पूरी तरह पैसे बदल दिया है क्योंकि यहाँ पर आपको पैरेंटिंग से लेकर स्टडीज़ तक, जॉब से लेकर बैंकिंग तक, हर चीज़ से जुड़ी इन्फॉर्मेशन पलक झपकते ही मिल जाती पर की आप जानते हैं कि जीस इंटरनेट के आप और हम ऑलमोस्ट ऐडिक्ट हो चूके हैं उसकी एक डार्क साइड जहाँ पर आपकी छोटी सी गलती भी आपको किसी भी भारी मुसीबत में फंसा सकती है , इस ब्लॉग में मैं आपसे बात करूँगा डार्क वेब की और आपको बताऊँगा की डार्क वेब क्या है यहाँ क्या होता है और क्यों आप इससे जितना दूर रहे उतना आपके लिए बेहतर है|



 What is Dark Web||डार्क वेब क्या है |


इंटरनेट को आप जितना आसान समझते हैं, यह उतना आसान है नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड है  इन्टरनेट या वेब को तीन हिस्सों में बांटा जाता है सरफेस वेब, दीप, वेब और डार्क में जितना इन्टरनेट आप ऐक्सेस करते हैं या कर सकते हैं वो पूरे इंटरनेट का सिर्फ चार परसेंट होता है और इसको सर्फेस वेब कहते हैं, यानी जो भी कुछ आप गूगल यूट्यूब पर सर्च करते हैं और जितना कॉन्टेन्ट लाखों वेबसाइट पर देखते हैं वो सब इस चार परसेंट में ही आता इसके बाद आता है दीप पर यह इंटरनेट का वो पोर्शन हैं जो सर्च एंजिन से छुपा होता है यहाँ वेबसाइट्स होती है जो आपको गूगल या दूसरे सर्च एंजिन पर नहीं मिलेंगी, जैसे कि आपके बैंक डिटेल्स, किसी कंपनी का प्राइवेट डेटा गवर्नमेंट की सीक्रेट इन्फॉर्मेशन एक्स्ट्रा इनको ऐक्सेस करने के लिए आपको एक लिंक और अलग से यूज़रनेम और पासवर्ड की जरूरत पड़ती है और कोई भी यहाँ तक नहीं पहुँच पाता तीसरे नंबर पर आता है डार्क, पर ये इंटरनेट का अन्डरवर्ल्ड है और यहाँ पर ज्यादातर इललीगल काम होते हैं जो आप सोच भी नहीं सकते ये इन्टरनेट के समुद्र का वो हिस्सा है जहाँ पर बड़ी बड़ी सार्क घूमती है और लोगों को अपना शिकार बनाती है यहाँ पर ऐसी वेबसाइट्स 

और लिनक्स होते हैं जिनको आप अपने ब्राउज़र पर भी नहीं खोल पाएंगे डार्क की वेबसाइट सिर्फ कुछ स्पेशल ब्राउज़र से ही एक्सेस होती है जो मास्क आईपी एड्रेस यूज़ करती ताकि विजिटर्स की पहचान ना हो पाए और उनको कोई ना कर पाए आप इसको ऐसे समझिए कि जैसे इंटरनेट एक ice वर्ग है और जो टिप वर्ग है यानी की सबसे छोटा हिस्सा वो है जिसकों आप और हम ऐक्सेस कर पाते है के बीच का हिस्सा है और सबसे नीचे है डार्क तो चलिए जानते हैं कि डार्क कितना बड़ा है और यहाँ क्या क्या होता है सर्फेस वेब के मुकाबले डार्क में बहुत बड़ा है और इसका साइज लगातार बढ़ रहा है दो हज़ार एक में की गई यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक रिसर्च के मुताबिक डार्क वेब पर करीब सात हज़ार पांच सौ तेरह बाइट की इन्फॉर्मेशन अवेलेबल है जबकि पर ये इन्फॉर्मेशन सारी इन्फॉर्मेशन मिलाकर करीब उन्नीस तेरह बाइट की है मतलब करीब चार सौ गुना ज्यादा इन्फॉर्मेशन और अगले दो सालों में ये हजारों गुना बढ़ गई ऐसे ही डार्क वेब के सिर्फ साठ सबसे बड़ी वेबसाइट्स पूरे सर ऑफिस वेब से इन्फॉर्मेशन के मामले में चालीस गुना ज्यादा बढ़ी है यानी डार्क वेब की सिर्फ साठ वेबसाइट पर आपके और हमारे इंटरनेट से 

चालीस गुना ज्यादा कॉन्टेंट जब आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं तो आपसे पूरे वेब का सिर्फ ज़ीरो पॉइन्ट ज़ीरो थ्री परसेंट रिसर्च करते हैं इससे आप अंदाजा लगाइए कि डार्क वेब कितना बड़ा है और वास्तव डार्क वेब के साइज के बारे में जानने के बाद अब आइये बात करते हैं कि आखिर यहाँ होता क्या है डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का अंडरवर्ल्ड है और इस स्पेस को क्रिमिनल्स इललीगल काम करने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं यहाँ पर किसी भी कंट्री के फेक बॉस, आपके और हमारे क्रेडिट और डेबिट कार्ड डिटेल्स ड्रग्ज़, इल्लीगल वेपन्स गन्स, फेक करेन्सी ज़, कॉन्ट्रैक्ट किलर्स, फ्रॉड और एक्सटॉर्शन सर्विसेज से लेकर सब कुछ अवेलेबल होता है पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक इंडिया के लोगों के करीब तेरह लाख क्रेडिट और डेबिट कार्ड की सारी डिटेल्स डार्क पेपर अवेलेबल है और ये डिटेल्स सौ डॉलर पर कट की कीमत पर बेची जाती हैं यहाँ पर इललीगल वेपन इसकी मार्केट बेसिस होती है जहाँ पर क्रिमिनल्स वो हर चीज़ खरीद पाते हैं जो उनको कहीं और नहीं मिलते दिल्ली पुलिस ने भी डार्क वेब से रिलेटेड के मामले में कई लोगों को अरेस्ट किया है कुछ दिनों पहले डेली 

पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया था जो डार्क वेब से इल्लीगल ड्रग्स खरीद रहे हैं यहाँ पर क्रिमिनल्स यूनिवर्सिटीज़ की एक डिक्रीस सर्टिफिकेशन भेजते हैं और उनसे पैसा कमाते हैं लोग हैकर्स हायर करते हैं जो यूनिवर्सिटीज़ की साइट को हैक करके उनके ग्रेड्स तक चेंज कर देते हैं डार्क पेपर फेक पासपोर्ट बहुत कॉमन सी बात है और यहाँ पर क्रिमिनल किसी भी देश का फर्जी पासपोर्ट हासिल करते हैं जैसे डार्क वेब पर यूएस के पासपोर्ट की कीमत हैं पंद्रह सौ डॉलर यानी करीब एक, लाख रुपए डार्क वेब पर ऐसी ही एक वेबसाइट थीं सिल्क रूट के नाम से जहाँ पर ये सारा इललीगल काम होता था इस वेबसाइट को यूएस इन्टेलिजेन्स एजेंसी एफबीआइ ने सीज किया और दो हज़ार तेरह में इसको बंद कर दिया गया है इस वेबसाइट पर लोगों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड डिटेल्स विद सी वी नंबर्स बर्थ सर्टिफिकेट्स पासपोर्ट ड्राइविंग लाइसेंस और ड्रग्स से लेकर सबकुछ मिलता था यहाँ पर सारे ट्रान्ज़ैक्शन वर्चुअल करेंसी जैसे की कौन सी में होते थे सिर्फ दो साल के अंदर सिल्क रूट ने पिचानवे लाख कमाए जो करीब एक सौ अस्सी बिलियन डॉलर के बराबर होते हैं अब इसको इंडियन 

करेन्सी में कन्वर्ट करने के लिए आपको एक सौ अस्सी अरब को सत्तर से मल्टिप्लाई और ये कमाई सिल्क रूट ने इल्लीगल ट्रांजैक्शन के जरिए सिर्फ दो साल में की डार्क वेब पर सिल्क रूट से बड़ी भी वेबसाइट्स इस करती है और ये सब इल्लीगल ट्रांजेक्शन के जरिए पैसे कमाती हैं इंटरनेट के इस अन्डरवर्ल्ड में टेररिज़म भी फैलाया जाता है टैरो ऑर्गेनाइजेशन डार्क वेब का सहारा लेकर अपने फैलातें हैं ऐसी खबरें आती रहती है की टेरेस ग्रुप्स जैसे की इस अपने प्रॉपेगैंडा विडीओ जो बना कर डालते थे वो भी इन्हीं सोर्स का इस्तेमाल करते 


डार्क वेब को किसने बनाया


अब आपको बताते हैं कि डार्क वेब को किसने बनाया डार्क वेब के बारे में इतनी बातें जानकर आपको लग रहा होगा कि इसको किसी बड़े क्रिमिनल ने डेवलप किया है, पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है दरअसल डार्क वेब ओनियन राउटर इन टेक्नीक पर वर्क करती है, जिसकों अमेरिकन नेवी ने अपनी गवर्नमेंट के लिए डेवलप किया था नाइनटीन नाइनटीन इसका इस्तेमाल डॉक्यूमेंट्स और पेपर्स भेजने के लिए होता था ताकि उनको हैक या लीक होने से बचाया जा सके इसके लिए एक परटिक्युलर ब्राउज़र भी डेवलप किया गया था जो उन पर चलता है इसका नाम ओनियन यानी प्याज पर इसलिए रखा गया क्योंकि जैसे प्याज में काफी सारी लेयर्स होती है इस पर्टिकुलर ब्राउज़र के जरिए भी जो मैसेज भेजा जाता है तो वो सेन्डर का आईपी एड्रेस कई में एन्क्रिप्ट किए हुए होता है डार्क पेपर डेटा बहुत सारे और नेटवर्क से बाउंस होकर पहुंचता है, जिसकी वजह से यू सर और वेबसाइट दोनों नर्वस रहते हैं डार्क वेब को ऐक्सेस करने के लिए चाहिए होती है ताकि वहाँ पर किसी को ट्रैक ना किया जा सके और ये काम ओनियन रॉबिन तकनीक करती है डार्क वेब एक ऐसी वर्चुअल दुनिया है जिससे आप हमेशा दूर ही रहे क्योंकि अगर आप यहाँ जाते है तो सबसे बड़ा खतरा किसी और को नहीं बल्कि आप ही को होगा यहाँ पर बड़े बड़े हैकर्स बैठे रहते है न ये शिकार की तलाश हो और आपके एक क्लिक करने भर से आपकी सारी प्राइवेट इन्फॉर्मेशन कॉन्फिडैंशल डेटा उनके हाथ लग जाएगा डार्क पेपर होने वाले कामों पर इन्टेलिजेन्स जिसकी भी नजर रहती है और ये एजेंसीज़ बड़े बड़े क्रिमिनल रैकेट का पता लगाकर उनका काम तमाम करती रहती है तो आपके लिए सिर्फ यहीं एडवाइस है कि आप डार्क वेब जैसी चीजों से हमेशा दूर रहें, क्योंकि आपकी ये गलती आपको हमेशा के लिए मुसीबत में डाल सकती है| 

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